BALLIA NEWS ( बलिया समाचार)
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Wednesday, 24 May 2023
*~ आज का वैदिक पंचांग ~* 🌞
Tuesday, 27 December 2022
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Sunday, 6 February 2022
कितनी विडंबना है कि कैंसर, एड्स, कुपोषण, शराब, तम्बाकू, गुटखा इत्यादि पर असंख्य विज्ञापन बने हैं इस देश में यहां तक कि लिंगभेद, रंगभेद पर कम ही सही मगर बात हुई ही है लेकिन जाति.....
कितनी विडंबना है कि कैंसर, एड्स, कुपोषण, शराब, तम्बाकू, गुटखा इत्यादि पर असंख्य विज्ञापन बने हैं इस देश में यहां तक कि लिंगभेद, रंगभेद पर कम ही सही मगर बात हुई ही है लेकिन जातिवाद के खिलाफ कभी किसी की हिम्मत नहीं हुई कि इसपर कोई विज्ञापन बना सकें। हर टीवी चैनल पर जातिवाद के ख़िलाफ़ विज्ञापन होना चाहिए था साथ ही सभ्य समाज में आचरण, विचार, मानवीय भावनाओं हेतु व्यवहार कैसा होना चाहिए उसका प्रचार भी जरूरी था।
हाशिये में पड़े समाज अर्थात बहिष्कृत समाज को जगाने, शिक्षित व जाग्रत करने में दक्षिण सिनेमा का बड़ा योगदान रहा है। हिंदी बाहुल्य क्षेत्र चाहे वह सिनेमा हो, साहित्य हो, या मीडिया हो अधिकांश जनजागृति के मामलों में भ्रमित करने वाले तथ्य मिलते हैं बाक़ी गलत परम्परा, मान्यता को पोषित, संरक्षित करने वाला कंटेंट मिलता है। जबतक हमारी मान्यताओं के विपरीत तर्क व उनके तथ्य हमें ज्ञात नहीं होंगे बदलाव कैसे आयेगा?
वर्तमान समय में साहित्य व सिनेमा में काफ़ी बदलाव आया है। भले ही हाशिये के लोगों का प्रतिनिधित्व बेहद नगण्य हो मगर उनकी बातें लगातार हो रही है। इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि दलित,आदिवासी,पिछड़ों ने अपने वेब चैनल, पत्रिकाएं, यूट्यूब चैनल, सोशल मीडिया के टूल्स, अन्य कॉमन प्लेटफार्म पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवायी और लोगों तक ऐतिहासिक, वर्तमान परिदृश्य पर अपने विचार प्रेषित किये हैं।
आर्टिकल 15 से लेकर भीमा कोरेगांव, शरणम गच्छामि, सैराट, 500, दी शुद्र या जय भीम इत्यादि तक एक बदलाव की आहट ही नहीं उस पक्ष की पीड़ा, मौजूदगी और समस्यायों पर मंथन है। हिंदी सिनेमा या हिंदी साहित्य की कहानी में दलित केवल सेवक, ड्राइवर, गरीब, शोषित के रूप में ही दिखाई पड़ता है कभी मुख्य हीरो की भूमिका में नहीं दिखा और न ही दलित कलाकार कोई हीरो जैसे बड़े चेहरे में नहीं दिखाई दिया।
अब समय बदल रहा है क्योंकि आप बात करने लगे हैं। बेझिझक बिना किसी की परवाह किये बगैर अपनी बात बोलने लगे हैं। लोग क्या सोचेंगे, लोग क्या बोलेंगे,अंजाम क्या होगा या कौन क्या धारणाएं बनाएगा इसकी चिंता छोड़कर, संवैधानिक दायरे में,सभ्य व शालीनता के साथ अपना पक्ष हर रोज़ रख रहे हैं और गलत बातों का विरोध भी बड़ी मुखरता से कर रहे हैं। यही ताकत है जो आपका ध्यान रहेगा अन्यथा पीड़ित, शोषित,अपमानित और बहिष्कृत ही परिभाषित होंगे।
~ताराचन्द जाटव~
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बलिया जिले में कितने गांव है, आइये जानते हैं
बलिया जिले में कितने गांव है
बलिया जिला में कुल 2293 गांव है, बलिया जिला उत्तर प्रदेश का लगभग मध्य भाग में स्थित एक जिला है, बलिया जिले में 6 तहसील है, जिनमे अलग अलग संख्या में ग्राम भी है, सबसे ज्यादा गांव बलिया तहसील में है और सबसे काम ग्राम बैरिअ तहसील में है, किस तहसील में कितने ग्राम है ये नीचे की सारणी में दिया हुआ है, बलिया जिले में उत्तर प्रदेश के कुल गांव का लगभग 2.3 प्रतिशत गांव है।
बलिया जिले में तहसील
तहसील नाम | जनसंख्या | ग्रामो की कुल संख्या |
---|---|---|
बैरिअ | NA | 159 |
बलिया | 104,424 | 744 |
बांसडीह | 20,232 | 484 |
बेल्थरा रोड | 392,294 | 283 |
रसरा | 421,580 | 385 |
सिकंदरपुर | 21,790 | 238 |
बलिया जिले का तहसील मानचित्र
बलिया जिले में ब्लॉक
S. No. | Block Name |
---|---|
1. | BANSDIH |
2. | BELHARI |
3. | BERUARWARI |
4. | CHILKAHAR |
5. | DUBHAD |
6. | GARWAR |
7. | HANUMANGANJ |
8. | MANIYAR |
9. | MURLI CHHAPRA |
10. | NAGRA |
11. | NAVANAGAR |
12. | PANDAH |
13. | RASRA |
14. | REVATI |
15. | SIAR |
16. | SOHAON |
17. | BAIRIA |
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Sunday, 10 January 2021
बलिया-जमीन के कब्जे के चक्कर में वहाँ पर रख दिया अंबेडकर की प्रतिमा, पुलिस ने दर्ज़ किया मामला
बलिया: जिले के गड़वार थाना क्षेत्र के परसिया खुर्द ग्राम में कल रात्रि निजी भूमि पर डॉ आंबेडकर की प्रतिमा रखे जाने का मामला सामने आया है । इस मामले में 13 व्यक्तियों के विरुद्ध नामजद मुकदमा दर्ज किया गया है ।
ये है पूरा मामला
जानकारी के अनुसार गड़वार थाना क्षेत्र के परसिया खुर्द ग्राम के राम प्रीत राम ने आज शिकायत की है कि उसके पिता व चचेरे भाई की आराजी पर कल रात्रि गांव के ही लोगों ने जमीन पर कब्जा करने के उद्देश्य से डॉ आंबेडकर की प्रतिमा रख दिया है ।
राम प्रीत राम ने आज सुबह प्रतिमा देखा तो उसने पूछताछ की तो उसे अपशब्द कहे गए तथा जान से मारने की धमकी दी गई ।
सूचना मिलने के बाद पुलिस उपाधीक्षक व थाना प्रभारी पुलिस बल सहित आज मौके पर पहुँचे तथा प्रतिमा को हटाया । उन्होंने बताया कि इस मामले में राम प्रीत राम की शिकायत पर 13 व्यक्तियों के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 147 , 447 , 504 व 506 के अंतर्गत नामजद मुकदमा दर्ज किया गया है ।
इस मामले में फिलहाल कोई गिरफ्तारी नही हुई है । पुलिस आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए प्रयास कर रही है ।
जिले में डॉ आंबेडकर की प्रतिमा कानून व्यवस्था के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है । गड़वार थाना क्षेत्र के परसिया खुर्द ग्राम की कल रात्रि की घटना ने साबित कर दिया है कि निजी स्वार्थ वश देश के संविधान निर्माता डॉ आंबेडकर के सम्मान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है ।
जनपद में पिछले साल के आखिरी महीने दिसम्बर में डॉ आंबेडकर की प्रतिमा तोड़ने की दो घटनाएं हुई । भीमपुरा पुलिस स्टेशन के अंतर्गत लोहता पचदौरा गांव में स्थापित दलितों के मसीहा डॉ. बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की एक प्रतिमा क्षतिग्रस्त पाई गई । ‘असामाजिक’ तत्वों द्वारा इसे क्षतिग्रस्त कर दिया गया ।
नगरा थाना क्षेत्र के कोठियां चट्टी पर डॉ. भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा किसी ने क्षतिग्रस्त कर दी। जानकारी होने पर ग्रामीणों ने नाराजगी जताई। सूचना पर पहुंची पुलिस ने प्रतिमा की मरम्मत कराकर मामला शांत कराया ।
रसड़ा कोतवाली क्षेत्र के सूरदासपुर गांव में स्थापित आंबेडकर की प्रतिमा को अराजक तत्वों ने क्षतिग्रस्त कर दिया गया । मनियर व गड़वार थाना क्षेत्र में भी ऐसी घटनाएं प्रकाश में आयी ।