एक गांव में बहुत सारे लोग एक चिंता में थे गांव में महामारी फैली थी और लोगों को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर अपने घरों को छोड़कर कहां जाए क्योंकि और कोई घर भी नहीं था।
एक घर में एक स्त्री की मृत्यु इसी महामारी की वजह से हो गई थी उसके पति को किसी ने कहा था कि एक भगवान के धाम का दर्शन करके आओ क्योंकि तुम्हारी बीवी चल बसी है।
उसकी मोक्ष प्राप्ति के लिए वहां जाकर प्रार्थना करना और साथ ही वहां जो भगवान है उनकी आंखों में आंखें डाल कर जब देखोगे तो तुम्हें और तुम्हारे बालक को बहुत सुकून मिलेगा। उसका पति अपने 4 साल के बेटे को लेकर ट्रेन में चला गया।
यह यात्रा के लिए निकल तो गया लेकिन जब स्टेशन पर पहुंचे तो एक फूल वाले के यहां से एक फूल की माला और प्रसाद लिया, जब ले रहा था तो अपने 4 साल के बेटे को उसने छांव में खड़ा किया।
उसके बाजू वाला जो फूल वाला ही था वह चिल्लाने लगा। कि क्यों भाई फूल बाजू वाले से ले रहे हो और छाव मुझसे। हटा अपने लड़के को यहां से, इस इंसान ने अपने 4 साल की बेटे को गोद में उठा लिया और इस फूल वाले से कहा कि ऊपर वाला सब कुछ देख रहा है।
उस पूरे दिन के लिए उस फूल वाले के यहां से ना ही किसी ने फूल लिए और ना ही प्रसाद किसी ने खरीदे। उसका धंधा ही नहीं हो पाया। इस भगवान की महिमा को देखने बहुत सारे लोग उस मंदिर पर हर दिन लाखों की भीड़ मे दर्शन करने के लिए आते।
और इसी भीड़ मे अटके हुए थे वे दोनों बाप और बेटे। और उसी समय उस आदमी के बालक को भूख लगी, वह भूख के मारे बिलख रहा था, वह पिता उसे शांत कराने की कोशिश में लगा हुआ था।
भीड़ बहुत धीरे धीरे आगे बढ़ रही थी और फिर जब दर्शन के लिए जैसे ही कुछ पास पहुंचे, तब धूप मैं भीड़ रुक गई। लाइन आगे ही नहीं बढ़ रही थी सब सोच में पड़ गए। सभी एक दूसरे से पूछ रहे थे आखिर में यह भीड़ आगे क्यों नहीं जा रहीं हैं। क्या हुआ है आगे।
इतने में लोगों को पता चला कि कोई वी.आई.पी और उसका काफिला दर्शन के लिए आया हुआ था। अब वह लोग जब तक दर्शन करके जाते नहीं। तब तक तो यह भीड आगे बढ़ेगी ही नहीं। पता यह भी चला था कि एक लाख का छप्पन भोग का प्रसाद उन्होंने यह चढ़ावा चढ़ाया था।
बच्चा जो था उस छप्पन भोग की तस्वीर वहां लगी टेलिविजन स्क्रीन पर देखे जा रहा था वह भूख से वैसे भी बिलख रहा था, बाप ने अपने बच्चे को इस प्रसाद को देखते हुए देखा और अपने बेटे को कन्धे मे डालते हुए कहा।
बेटा थोड़ी देर सो जा क्योंकि देख सपने में यह मिठाई खाने को मिलेगी।और वह बच्चा बाप के कंधे पर सर डाल कर सो गया। 20 मिनट के बाद यह भीड़ आगे बढ़ी।
और जो स्पीड में लाइन आगे बड़ी, लोग धना-धन दर्शन के लिए जाने लगे। और सिक्योरिटी गार्ड सबको धक्के मार कर कह रहा था आगे बढ़ो, आगे बढ़ो,। प्रभु से आंख मिलाना तो दूर भगवान की अच्छी तरह से सूरत देखना भी नसीब नहीं हुआ।
तभी उस आदमी की कानों में न जाने कुछ ऐसी आवाज़ उसी वक्त सुनाई पड़ी, कि तुम अपने घर पहुंचो मैं तुमसे तुम्हारे घर मिलने तुम्हारे गांव आ रहा हूं। जाओ तुम जिस गांव से आए हो, वहां वापस चले जाओ।
जब ट्रेन में वे दोनों बाप और बेटे बैठे तो उस आदमी को पता नहीं चल रहा था कि वास्तव में भगवान ने ऐसा मेरे कानों में कहा था या मुझे आभास हुआ था। जब वह आदमी अपने घर पहुंचा तो अपने बच्चे को दो रोटी खिलाकर सुला दिया।
भगवान आने वाले थे इस लिए उस आदमी ने सबसे पहले अपने घर को ठीक किया, पानी का गिलास भरकर रखा और अपने घर के बाहर उसने दिए जलाए। रात के 12:00 बज चुके थे और उसकी आंख जैसे ही लगने वाली थी उसके घर के दरवाजे पर दस्तक हुई।
जैसे उसने दरवाजा खोला तभी एक आम आदमी की तरह भगवान उसके दरवाजे के सामने खड़े हुए थे। और उनके चेहरे पर जो दिव्य तेज था वह आदमी बोल उठा, “भगवान आप, भगवान ने कहा बिल्कुल सही पहचाना तुमने।
तुमने मेरे बारे मे बहुत सारी कहानियां सुनी होगी। मेरे बारे में धाराएं बनाई होगी। लेकिन तुम्हारा भगवान तुम जैसे ही है तुम जैसा ही पहनता है तुम जैसा सोचता है और बातें भी तुम्हारी ही जैसा करता है ताकि मैं अपने भक्तों को और ज्यादा समझ पाऊं और तकलीफ समझ पाऊं।
एक दिए से दूसरे दिए को जलाते हुऐ भगवान ने उस आदमी से कहा, देखो दिए तो अलग है लेकिन जोत एक हो चुकी है तुम्हारा और मेरा रिश्ता भी बिल्कुल ऐसा ही है जो मेरी तरफ तुम्हें खींच रही थी और मैं तुम्हारी तरफ। और सिर्फ तुम्हारी वजह से तुम्हारे गांव तक आया हूं।
अगले 1 सप्ताह में गांव में महामारी का अंत हो चुका था सभी पहले जैसे जीने लगे और किसी को कोई भी तकलीफ नहीं थी सभी लोग खुश थे सरपंच भी सोच में पड़ चुका था की ऐसा चमत्कार कैसे हो सकता है।
अब हर साल बाप और बेटा उसी मंदिर जाते हैं धक्के खाते हैं लाइन में लगते और हर बारी चिल्लाकर भगवान से कहकर जाते हैं भगवान सिर्फ हम नवता देने आए हैं आज रात हमारे घर आ रहे हो ना। ऐसा कह वह आदमी अपने गांव वापस लौट जाता।
हमारे पूरे जीवन में हर दिन में बहुत कम मीठी और सबसे ज्यादा कड़वी बातें सुनते हैं जब जूता हमें अपनी उंगलियों में काट जाता है तो हम उस जुते को तो नहीं कोसते और ना ही वह जूता हमारे दिमाग पर सवार होता है।
अगर इंसान के साथ जो दुर्व्यवहार करता है वह हमारे दिमाग पर सवार क्यों रहता है अगर मुझे या आपको कोई भी ऐसा इंसान मिले तो उसे ऊपर वाले के हवाले कर दो।और उनसे कहो भगवान तुम्हारा भला करे हिसाब किताब वही करेगा।
साथ ही कहानी को पढ़ने के बाद किसी एक इंसान के मन में परिवर्तन आ जाए तो मेरी यह कहानी सफल रहेगी।
Motivational quotes
वैसे भी इस कलयुग में भगवान और इंसान में एक ही तो फर्क है इस कलयुग में भगवान का तन पत्थर का और इस कलयुग में इसान का मन पत्थर का।
दोस्तों आपको यह short motivational story कैसी लगी प्लीज आप कमेन्ट में जरूर बताएं। और अपने दोस्तों के साथ और फैमिली वालों के साथ में जरूर शेयर करें।