#उत्तर_प्रदेश की सीमा पर स्थित मांझी के पास नेशनल हाईवे 19 पर स्थित एक ढाबा के मालिक ने लॉकडाउन के बाद इस होटल में खाने वाले लोगों के लिए कैश काउंटर को ही बंद कर दिया
ढाबा के मालिक का कहना है कि ऐसा करने से उन्हें आत्मिक संतोष मिलता है.
होटल मालिक का नाम बसन्त सिंह है. दरअसल उत्तर प्रदेश के रास्ते बड़ी संख्या में मजदूर प्रतिदिन बिहार और झारखंड के लिए आ रहे हैं. इन मजदूरों को कई दिनों तक भूखा रहना पड़ रहा है लेकिन छपरा के मांझी के पास लाइन होटल मालिक बसन्त सिंह ने मजदूरों की समस्या को काफी हद समाधान कर दिया है.
होटल मालिक बसन्त सिंह ने अपने लाइन होटल को भंडारे में तब्दील कर दिया है जहां खाने वालों का कोई पैसा नहीं लगता. यहां प्रतिदिन 500 से अधिक लोग भोजन कर रहे हैं. होटल मालिक के इस कार्य में अब स्थानीय ग्रामीण भी सहयोग कर रहे हैं.
पका हुआ भोजन करने के बाद जो सुकून इन मजदूरों के चेहरे पर नजर आता है उसे शब्दों में बयां करना काफी मुश्किल है.
झारखंड वापस लौट रहे कयूम शेख और मदीना बीवी का कहना है कि बलिया से पैदल यात्रा कर छपरा आने के क्रम में माझी के पास बसंत सिंह ने उन्हें बुलाया और भोजन कराया जिसके बाद उन्हें काफी सुकून मिला क्योंकि लंबे समय बाद इतना स्वादिष्ट भोजन करने को मिला.
40 लोगों के इस ग्रुप को बसंत सिंह ने बड़े ही सम्मान के साथ भोजन कराया और जाते वक्त सूखा भोजन भी दिया ताकि रास्ते में इनको दिक्कत ना हो. बसंत सिंह का कहना है कि पहले इन्होंने अकेले ही यहां काम शुरू किया था लेकिन अब ग्रामीण भी शारीरिक और आर्थिक दोनों तरह से सहयोग कर रहे हैं.
ढाबा के मालिक का कहना है कि ऐसा करने से उन्हें आत्मिक संतोष मिलता है.
होटल मालिक का नाम बसन्त सिंह है. दरअसल उत्तर प्रदेश के रास्ते बड़ी संख्या में मजदूर प्रतिदिन बिहार और झारखंड के लिए आ रहे हैं. इन मजदूरों को कई दिनों तक भूखा रहना पड़ रहा है लेकिन छपरा के मांझी के पास लाइन होटल मालिक बसन्त सिंह ने मजदूरों की समस्या को काफी हद समाधान कर दिया है.
होटल मालिक बसन्त सिंह ने अपने लाइन होटल को भंडारे में तब्दील कर दिया है जहां खाने वालों का कोई पैसा नहीं लगता. यहां प्रतिदिन 500 से अधिक लोग भोजन कर रहे हैं. होटल मालिक के इस कार्य में अब स्थानीय ग्रामीण भी सहयोग कर रहे हैं.
पका हुआ भोजन करने के बाद जो सुकून इन मजदूरों के चेहरे पर नजर आता है उसे शब्दों में बयां करना काफी मुश्किल है.
झारखंड वापस लौट रहे कयूम शेख और मदीना बीवी का कहना है कि बलिया से पैदल यात्रा कर छपरा आने के क्रम में माझी के पास बसंत सिंह ने उन्हें बुलाया और भोजन कराया जिसके बाद उन्हें काफी सुकून मिला क्योंकि लंबे समय बाद इतना स्वादिष्ट भोजन करने को मिला.
40 लोगों के इस ग्रुप को बसंत सिंह ने बड़े ही सम्मान के साथ भोजन कराया और जाते वक्त सूखा भोजन भी दिया ताकि रास्ते में इनको दिक्कत ना हो. बसंत सिंह का कहना है कि पहले इन्होंने अकेले ही यहां काम शुरू किया था लेकिन अब ग्रामीण भी शारीरिक और आर्थिक दोनों तरह से सहयोग कर रहे हैं.