Wednesday 24 May 2023

*~ आज का वैदिक पंचांग ~* 🌞

🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞

 🌤️  *दिनांक - 25 मई 2023*
🌤️ *दिन - गुरूवार*
🌤️ *विक्रम संवत - 2080 (गुजरात - 2079)*
🌤️ *शक संवत -1945*
🌤️ *अयन - उत्तरायण*
🌤️ *ऋतु - ग्रीष्म ॠतु* 
🌤️ *मास - ज्येष्ठ*
🌤️ *पक्ष - शुक्ल* 
🌤️ *तिथि - षष्ठी 26 मई प्रातः 05:19 तक तत्पश्चात सप्तमी*
🌤️ *नक्षत्र - पुष्य शाम 05:54 तक तत्पश्चात अश्लेशा*
*🌤️योग - वृद्धि शाम 06:08 तक तत्पश्चात ध्रुव*
🌤️ *राहुकाल -  दोपहर 02:15 से शाम 03:55 तक*
🌞 *सूर्योदय-05:58*
🌤️ *सूर्यास्त- 19:12*
👉 *दिशाशूल- दक्षिण दिशा में*
🚩 *व्रत पर्व विवरण - स्कंद षष्ठी,अरण्य षष्ठी,गुरुपुष्यामृत योग (सूर्योदय से शाम 05:54 तक)*
🔥 *विशेष - षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
               🌞🌞

🌷 *बालों की मुलायमता* 🌷
👩🏻 *गोमूत्र सिर में लगाकर थोड़ी देर पश्चात् धो डालने से तथा सरसों के तेल की मालिश करने से बाल मुलायम होते हैं।*
🙏🏻 *आरोग्यनिधि पुस्तक से*
            🌞 🌞

🌷 *पाचनशक्ति की कमजोरी हो तो* 🌷
 ➡ *सौंफ और जीरा समान मात्रा में लेकर सेंक के रखो | भोजन के बाद चबा के खाओ तो पाचनशक्ति तेज होगी |*
🌞

  🌷 *अंतिम संस्कार* 🌷
🔥 *श्रद्धापूर्वक किसी अनाथ मृतक का अंतिम संस्कार करनेवाला अथवा स्वयं की शक्ति न होने पर दूसरों को इस पुण्यदायी कार्य के लिए, प्रेरित करनेवाला अग्निलोक में प्रशंसा का पात्र बनता है। ( शिव पुराण )*
🙏🏻🌷🌻🌹🍀🌺🌸🍁💐🙏🏻

Tuesday 27 December 2022

गुरु गोविंद सिंह जैसा न कोई हुआ है और न कोई होगा, जानिए 6 विशेष बातें...

परोपकारी गुरु गोविंद सिंह जी में सबसे बड़ी बात यह थी कि वे अपने आपको औरों जैसा सामान्य व्यक्ति ही मानते थे। गुरु गोविंद सिंह जी के बारे में लिखना मुश्किल है, क्योंकि साहिब-ए-कलाम बादशाह दरवेश गुरु गोविंद सिंह जैसा न कोई हुआ और न कोई होगा।
 
पुत्र के रूप में :- आपके जीवन के बारे में लिखते समय यह समझ में नहीं आता है कि आपका जीवन किस पक्ष में लिखा जाए। अगर आपको एक पुत्र के रूप में ‍देखा जाए तो आपके जैसा कोई पुत्र नहीं जिसने अपने पिता को हिंदू धर्म की रक्षा के लिए शहीद होने का आग्रह किया हो।
 
पिता के रूप में :- अगर आपको पिता के रूप में देखें तो भी आपके जैसा महान पिता कोई नहीं, जिन्होंने खुद अपने बेटों को शस्त्र दिए और कहा कि जाओ मैदान में दुश्मन का सामना करो और शहीदी जाम को पिओ।


 
लेखक के रूप में :- अगर आपको लिखारी के रूप में देखा जाए तो आप धन्य हैं। आपका दसम ग्रंथ, आपकी भाषा, आपकी इतनी ऊंची सोच को समझ पाना आम बात नहीं है।


त्यागी के रूप में :- अगर एक त्यागी के रूप में आपको देखा जाए तो आपने आनंदपुर के सुख छोड़, मां की ममता, पिता का साया, बच्चों के मोह को आसानी से धर्म की रक्षा के लिए त्याग दिया।

 
योद्धा के रूप में :-  अगर आपको एक योद्धा के रूप में देखें तो ‍हैरानी होती है कि आपने अपने हर तीर पर एक तोला सोना लगवाया हुआ था। जब इस सोने का कारण आपसे सिखों ने पूछा कि मरते तो इससे दुश्मन होते है फिर ये सोना क्यों? 

 
तो आपका उत्तर था कि मेरा कोई दुश्मन नहीं है। मेरी लड़ाई जालिम के जुल्म के खिलाफ है। इन तीरों से जो कोई घायल होंगे वो इस सोने की मदद से अपना इलाज करवा कर अच्छा जीवन व्यतीत करें और अगर उनकी मौत हो गई तो उनका अंतिम संस्कार हो सकें।

 
गुरु के रूप में :- आपके जैसा गुरु भी कोई नहीं जिसने अपने को सिखों के चरणों में बैठकर अमृत की दात मंगाई और वचन किया कि मैं आपका सेवक हूं जो हुकूम दोगे मंजूर करूंगा। समय आने पर आपने सिखों के हुकूम की पालना भी की।


आपने अपने जीवन का हर पल परोपकार में व्यतीत किया। आपके जितने गुणों का बखान किया जाए वो कम ही है। अंत में बस इतना ही कि 'जैसा तू तैसा तू ही क्या किछ उपमा दी जें।' 


Sunday 6 February 2022

कितनी विडंबना है कि कैंसर, एड्स, कुपोषण, शराब, तम्बाकू, गुटखा इत्यादि पर असंख्य विज्ञापन बने हैं इस देश में यहां तक कि लिंगभेद, रंगभेद पर कम ही सही मगर बात हुई ही है लेकिन जाति.....

कितनी विडंबना है कि कैंसर, एड्स, कुपोषण, शराब, तम्बाकू, गुटखा इत्यादि पर असंख्य विज्ञापन बने हैं इस देश में यहां तक कि लिंगभेद, रंगभेद पर कम ही सही मगर बात हुई ही है लेकिन जातिवाद के खिलाफ कभी किसी की हिम्मत नहीं हुई कि इसपर कोई विज्ञापन बना सकें। हर टीवी चैनल पर जातिवाद के ख़िलाफ़ विज्ञापन होना चाहिए था साथ ही सभ्य समाज में आचरण, विचार, मानवीय भावनाओं हेतु व्यवहार कैसा होना चाहिए उसका प्रचार भी जरूरी था।

हाशिये में पड़े समाज अर्थात बहिष्कृत समाज को जगाने, शिक्षित व जाग्रत करने में दक्षिण सिनेमा का बड़ा योगदान रहा है। हिंदी बाहुल्य क्षेत्र चाहे वह सिनेमा हो, साहित्य हो, या मीडिया हो अधिकांश जनजागृति के मामलों में भ्रमित करने वाले तथ्य मिलते हैं बाक़ी गलत परम्परा, मान्यता को पोषित, संरक्षित करने वाला कंटेंट मिलता है। जबतक हमारी मान्यताओं के विपरीत तर्क व उनके तथ्य हमें ज्ञात नहीं होंगे बदलाव कैसे आयेगा?

वर्तमान समय में साहित्य व सिनेमा में काफ़ी बदलाव आया है। भले ही हाशिये के लोगों का प्रतिनिधित्व बेहद नगण्य हो मगर उनकी बातें लगातार हो रही है। इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि दलित,आदिवासी,पिछड़ों ने अपने वेब चैनल, पत्रिकाएं, यूट्यूब चैनल, सोशल मीडिया के टूल्स, अन्य कॉमन प्लेटफार्म पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवायी और लोगों तक ऐतिहासिक, वर्तमान परिदृश्य पर अपने विचार प्रेषित किये हैं।

आर्टिकल 15 से लेकर भीमा कोरेगांव, शरणम गच्छामि, सैराट, 500, दी शुद्र या जय भीम इत्यादि तक एक बदलाव की आहट ही नहीं उस पक्ष की पीड़ा, मौजूदगी और समस्यायों पर मंथन है। हिंदी सिनेमा या हिंदी साहित्य की कहानी में दलित केवल सेवक, ड्राइवर, गरीब, शोषित के रूप में ही दिखाई पड़ता है कभी मुख्य हीरो की भूमिका में नहीं दिखा और न ही दलित कलाकार कोई हीरो जैसे बड़े चेहरे में नहीं दिखाई दिया।

अब समय बदल रहा है क्योंकि आप बात करने लगे हैं। बेझिझक बिना किसी की परवाह किये बगैर अपनी बात बोलने लगे हैं। लोग क्या सोचेंगे, लोग क्या बोलेंगे,अंजाम क्या होगा या कौन क्या धारणाएं बनाएगा इसकी चिंता छोड़कर, संवैधानिक दायरे में,सभ्य व शालीनता के साथ अपना पक्ष हर रोज़ रख रहे हैं और गलत बातों का विरोध भी बड़ी मुखरता से कर रहे हैं। यही ताकत है जो आपका ध्यान रहेगा अन्यथा पीड़ित, शोषित,अपमानित और बहिष्कृत ही परिभाषित होंगे।

~ताराचन्द जाटव~

Monday 21 June 2021

भगवान और इन्सान

भगवान और इंसान

एक गांव में बहुत सारे लोग एक चिंता में थे गांव में महामारी फैली थी और लोगों को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर अपने घरों को छोड़कर कहां जाए क्योंकि और कोई घर भी नहीं था।

एक घर में एक स्त्री की मृत्यु इसी महामारी की वजह से हो गई थी उसके पति को किसी ने कहा था कि एक भगवान के धाम का दर्शन करके आओ क्योंकि तुम्हारी बीवी चल बसी है।
उसकी मोक्ष प्राप्ति के लिए वहां जाकर प्रार्थना करना और साथ ही वहां जो भगवान है उनकी आंखों में आंखें डाल कर जब देखोगे तो तुम्हें और तुम्हारे बालक को बहुत सुकून मिलेगा। उसका पति अपने 4 साल के बेटे को लेकर ट्रेन में चला गया।


यह यात्रा के लिए निकल तो गया लेकिन जब स्टेशन पर पहुंचे तो एक फूल वाले के यहां से एक फूल की माला और प्रसाद लिया, जब ले रहा था तो अपने 4 साल के बेटे को उसने छांव में खड़ा किया।

उसके बाजू वाला जो फूल वाला ही था वह चिल्लाने लगा। कि क्यों भाई फूल बाजू वाले से ले रहे हो और छाव मुझसे। हटा अपने लड़के को यहां से, इस इंसान ने अपने 4 साल की बेटे को गोद में उठा लिया और इस फूल वाले से कहा कि ऊपर वाला सब कुछ देख रहा है।


 
उस पूरे दिन के लिए उस फूल वाले के यहां से ना ही किसी ने फूल लिए और ना ही प्रसाद किसी ने खरीदे। उसका धंधा ही नहीं हो पाया। इस भगवान की महिमा को देखने बहुत सारे लोग उस मंदिर पर हर दिन लाखों की भीड़ मे दर्शन करने के लिए आते।

और इसी भीड़ मे अटके हुए थे वे दोनों बाप और बेटे। और उसी समय उस आदमी के बालक को भूख लगी, वह भूख के मारे बिलख रहा था, वह पिता उसे शांत कराने की कोशिश में लगा हुआ था।


भीड़ बहुत धीरे धीरे आगे बढ़ रही थी और फिर जब दर्शन के लिए जैसे ही कुछ पास पहुंचे, तब धूप मैं भीड़ रुक गई। लाइन आगे ही नहीं बढ़ रही थी सब सोच में पड़ गए। सभी एक दूसरे से पूछ रहे थे आखिर में यह भीड़ आगे क्यों नहीं जा रहीं हैं। क्या हुआ है आगे।

 
इतने में लोगों को पता चला कि कोई वी.आई.पी और उसका काफिला दर्शन के लिए आया हुआ था। अब वह लोग जब तक दर्शन करके जाते नहीं। तब तक तो यह भीड आगे बढ़ेगी ही नहीं। पता यह भी चला था कि एक लाख का छप्पन भोग का प्रसाद उन्होंने यह चढ़ावा चढ़ाया था।

बच्चा जो था उस छप्पन भोग की तस्वीर वहां लगी टेलिविजन स्क्रीन पर देखे जा रहा था वह भूख से वैसे भी बिलख रहा था, बाप ने अपने बच्चे को इस प्रसाद को देखते हुए देखा और अपने बेटे को कन्धे मे डालते हुए कहा।


बेटा थोड़ी देर सो जा क्योंकि देख सपने में यह मिठाई खाने को मिलेगी।और वह बच्चा बाप के कंधे पर सर डाल कर सो गया। 20 मिनट के बाद यह भीड़ आगे बढ़ी।

 
और जो स्पीड में लाइन आगे बड़ी, लोग धना-धन दर्शन के लिए जाने लगे। और सिक्योरिटी गार्ड सबको धक्के मार कर कह रहा था आगे बढ़ो, आगे बढ़ो,। प्रभु से आंख मिलाना तो दूर भगवान की अच्छी तरह से सूरत देखना भी नसीब नहीं हुआ।

तभी उस आदमी की कानों में न जाने कुछ ऐसी आवाज़ उसी वक्त सुनाई पड़ी, कि तुम अपने घर पहुंचो मैं तुमसे तुम्हारे घर मिलने तुम्हारे गांव आ रहा हूं। जाओ तुम जिस गांव से आए हो, वहां वापस चले जाओ।


जब ट्रेन में वे दोनों बाप और बेटे बैठे तो उस आदमी को पता नहीं चल रहा था कि वास्तव में भगवान ने ऐसा मेरे कानों में कहा था या मुझे आभास हुआ था। जब वह आदमी अपने घर पहुंचा तो अपने बच्चे को दो रोटी खिलाकर सुला दिया।

भगवान आने वाले थे इस लिए उस आदमी ने सबसे पहले अपने घर को ठीक किया, पानी का गिलास भरकर रखा और अपने घर के बाहर उसने दिए जलाए।  रात के 12:00 बज चुके थे और उसकी आंख जैसे ही लगने वाली थी उसके घर के दरवाजे पर दस्तक हुई।

जैसे उसने दरवाजा खोला तभी एक आम आदमी की तरह भगवान उसके दरवाजे के सामने खड़े हुए थे। और  उनके चेहरे पर जो दिव्य तेज था वह आदमी बोल उठा, “भगवान आप, भगवान ने कहा बिल्कुल सही पहचाना तुमने।

 
तुमने मेरे बारे मे बहुत सारी कहानियां सुनी होगी। मेरे बारे में धाराएं बनाई होगी। लेकिन तुम्हारा भगवान तुम जैसे ही है तुम जैसा ही पहनता है तुम जैसा सोचता है और बातें भी तुम्हारी ही जैसा करता है ताकि मैं अपने भक्तों को और ज्यादा समझ पाऊं और तकलीफ समझ पाऊं।


एक दिए से दूसरे दिए को जलाते हुऐ भगवान ने उस आदमी से कहा, देखो दिए तो अलग है लेकिन जोत एक हो चुकी है तुम्हारा और मेरा रिश्ता भी बिल्कुल ऐसा ही है जो मेरी तरफ तुम्हें खींच रही थी और मैं तुम्हारी तरफ। और सिर्फ तुम्हारी वजह से तुम्हारे गांव तक आया हूं।

अगले 1 सप्ताह में गांव में महामारी का अंत हो चुका था सभी पहले जैसे जीने लगे और किसी को कोई भी तकलीफ नहीं थी सभी लोग खुश थे सरपंच भी सोच में पड़ चुका था की ऐसा चमत्कार कैसे हो सकता है।

अब हर साल बाप और बेटा उसी मंदिर जाते हैं धक्के खाते हैं लाइन में लगते और हर बारी चिल्लाकर भगवान से कहकर जाते हैं भगवान सिर्फ हम नवता देने आए हैं  आज रात हमारे घर आ रहे हो ना। ऐसा कह वह आदमी अपने गांव वापस लौट जाता।

हमारे पूरे जीवन में हर दिन में बहुत कम मीठी और सबसे ज्यादा कड़वी बातें सुनते हैं जब जूता हमें अपनी उंगलियों में काट जाता है तो हम उस जुते को तो नहीं कोसते और ना ही वह जूता हमारे दिमाग पर सवार होता है।


अगर इंसान के साथ जो दुर्व्यवहार करता है वह हमारे दिमाग पर सवार क्यों रहता है अगर मुझे या आपको कोई भी ऐसा इंसान मिले तो उसे ऊपर वाले के हवाले कर दो।और उनसे कहो भगवान तुम्हारा भला करे हिसाब किताब वही करेगा।

 
साथ ही कहानी को पढ़ने के बाद किसी एक इंसान के मन में परिवर्तन आ जाए तो मेरी यह कहानी सफल रहेगी।

Motivational quotes
वैसे भी इस कलयुग में भगवान और इंसान में एक ही तो फर्क है इस कलयुग में भगवान का तन पत्थर का और इस कलयुग में इसान का मन पत्थर का।

दोस्तों आपको यह short motivational story कैसी लगी प्लीज आप कमेन्ट में जरूर बताएं। और अपने दोस्तों के साथ और फैमिली वालों के साथ में जरूर शेयर करें।

Friday 29 January 2021

आकस्मिक समस्या निवारक प्रयोग, जाने जानकारी

आकस्मिक समस्या निवारक प्रयोग :............
१..कटे अंग से खून आना रूककर कटा जुड़ जाये प्रयोग ..

उपाय :- यदि चाकू या तेज़ चीज से हाथ-पैर अथवा शरीर का कोई अंग कट जाए तो वहां तुरंत पान का रस निचोड दे , रक्त तुरंत बंद हो जायेगा | यह प्रयोग कटे स्थान को जादू की तरह जोड़ देता हें | बस पान का रस निचोड़ कर तुरंत कटे स्थान पर टपका दे , फिर एक पान भी बांधना हें |
(पान की दुकान से पान मिल जाएगा )( पान बगला मिले तो अति उत्तम हें वर्ना कोई भी पान का प्रयोग कर सकते हें )
२...कांच निगलने से आई परेशानी निवारक प्रयोग 
उपाय :-यदि किसी ने कांच (गलती से या जान बुझकर ) खा लिया हें तो आप बिलकुल भी परेशान न हो , कांच खाए व्यक्ति को उबले हुए आलू खिला दे | 
अथवा कांच खाये व्यक्ति को भरपेट दही खिला दे | 
अथवा कांच खाये व्यक्ति को इसबगोल की भुस्सी लगभग बारह ग्राम सहता गरम दूध के साथ खिला दे | स्थिती का निवारण होगा |
३..मोच कष्ट निवारक प्रयोग  
उपाय :- एक गिलास पानी में दो tea spoon जीरा डालकर गरम् कर ले | इसी पानी से मोच वाली जगह की सिकाई करे | इस प्रयोग से तुरंत आराम मिलेगा |
४..खट्टी डकार निवारक प्रयोग 
उपाय :- गुड , सेंधा नमक , काला नमक मिलाकर चाटने से खट्टी डकारे आना बंद हो जाती हें | 
५..नाक में फंसी हुई चीज बाहर आये प्रयोग 
उपाय :-यदि कोई चीज नाक में फंस गई हो तो तम्बाकू पीसकर सूंघ लीजिए | छीक आने के साथ ही फंसी हुई चीज बाहर आ जायेगी | 
६  जले अंग कष्ट निवारक प्रयोग 
उपाय :- यदि कोई अंग आग से जल जाय तो उसी समय जले स्थान पर ग्लिसरीन लगा दे | जले के लिए यह अचूक व अद्भुत दवा हें | न छाले पड़ेगे न ही चमड़ी ही लाल होगी | 
७ जले अंग कष्ट निवारक प्रयोग 
उपाय :-अगर शरीर का कोई हिस्सा जल या झुलस जाय तो उस पर तुरंत सरसों का तेल लगा दे या वह अंग जो जल गया हें तुरंत सरसों के तेल में डुबो दीजिए | छाला नहीं पड़ेगा ना ही कोई निशान वहां जाहिर होगा |

Thursday 28 January 2021

इस खास मंत्र के जाप करने से भगवान शिव दूर करते हैं हर कष्ट

इस खास मंत्र के जाप करने से भगवान शिव दूर करते हैं हर कष्ट


सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है. ऐसे में कहा जाता है कि अगर सोमवार को भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा की जाए तो सारे कष्टों से मुक्ति मिलती है और सभी मनोकामना पूरी होती है. शिव सदा अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं. 

मान्यता है कि भगवान शिव को खुश करने के लिए सोमवार को सुबह उठकर स्नान करके भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए. वैसे तो भगवान शिव के कई तरह के नाम हैं लेकिन सभी भक्त प्रेम से इन्हें भोलेनाथ ही पुकारते हैं क्योंकि भोलेनाथ के अंदर न तो अहम है और न ही चालाकी है.

 उनके अंदर एक बच्चे की तरह मासूमियत है. इसीलिए इन्हें भोलेनाथ कहा जाता है. सभी देवताओं में भोलेनाथ ही एक ऐसे देवता हैं जिन्हें खुश करना सबसे आसान होता है.

जहां एक तरफ उनको भोलेनाथ कहा जाता है तो वहीं दूसरी तरफ इनको सृष्टि का विनाशक भी कहा जाता है. हिन्दू धर्म के मुताबिक भगवान शिव त्रिदेवों में से एक हैं. ऐसी मान्यता है कि जो भी भगवान शिव की आराधना करता है उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं.

 शिवपुराण में 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र को सारे कष्टों को दूर करने वाला मंत्र बताया गया है. शिवपुराण में ही ऐसा बताया गया है कि 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र के जाप से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. शिव महापुराण में ही इस मंत्र को शरणाक्षर मंत्र भी कहा गया है.


'ॐ नमः शिवाय' मंत्र जाप करने की विधि-
-हमारे हिन्दू धर्मशास्त्रों में इस चमत्कारी मंत्र का जाप करने के लिए किसी खास समय का निर्धारण नहीं किया गया है. इसका मतलब यह है कि इस मंत्र का जाप अपनी सुविधा के अनुसार कभी भी कर सकते हैं.

-इस मंत्र का जाप नदी के किनारे शिवलिंग की स्थापना कर, किसी वन या शांत स्थान पर या घर में रहते हुए भी कर सकते हैं.


-इस मंत्र का जाप प्रत्येक दिन हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ मुख करके करना चाहिए.

-इस मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से करना चाहिए.

-इस मंत्र का जाप प्रत्येक दिन कम से कम 108 बार करना चाहिए.

ॐ नमः शिवाय' मंत्र के जाप से होने वाला लाभ-
इस मंत्र का जाप करने से धन की प्राप्ति, संतान की प्राप्ति और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है. इस मंत्र के जाप से सभी कष्ट और दुख दूर हो जाते हैं.

Wednesday 27 January 2021

भगवान गणेश के साथ क्यों लेते हैं शुभ-लाभ का नाम?

भगवान गणेश के साथ क्यों लेते हैं शुभ-लाभ का नाम

बुधवार को पूरे विधि विधान के साथ भगवान गणेश की पूजा की जाती है. भगवान गणेश भक्तों पर प्रसन्न होकर उनके दुखों को हरते हैं और सभी की मनोकामनाएं पूरी करते हैं. 


हिंदू मान्यताओं के अनुसार कोई भी शुभ कार्य करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जानी जरूरी है. भगवान गणेश सभी लोगों के दुखों को हरते हैं. भगवान गणेश खुद रिद्धि-सिद्धि के दाता और शुभ-लाभ के प्रदाता हैं।


वह भक्तों की बाधा, सकंट, रोग-दोष तथा दरिद्रता को दूर करते हैं. शास्‍त्रों के अनुसार माना जाता है कि श्री गणेश जी की विशेष पूजा का दिन बुधवार है. कहा जाता है कि बुधवार को गणेश जी की पूजा और उपाय करने से हर समस्‍या का समाधान हो जाता है. अक्सर लोग अपने मुख्य दरवाजे के बाहर या फिर उसके आसपास की दीवारों पर लाभ और शुभ लिखते हैं. यह क्यों लिखते हैं और क्या है इनका भगवान गणेशजी से संबंध आइए आपको बताते हैं.


गणेशजी के दो पुत्र शुभ और लाभ
भगवान शिव के पुत्र गणेशजी का विवाह प्रजापति विश्वकर्मा की पुत्री ऋद्धि और सिद्धि नामक दो कन्याओं से हुआ था. सिद्धि से 'क्षेम' और ऋद्धि से 'लाभ' नाम के दो पुत्र हुए. लोक-परंपरा में इन्हें ही शुभ-लाभ कहा जाता है.


 गणेश पुराण के अनुसार शुभ और लाभ को केशं और लाभ नामों से भी जाना जाता है. रिद्धि शब्द का अर्थ है 'बुद्धि' जिसे का हिंदी में शुभ कहते हैं. ठीक इसी तरह सिद्धी इस शब्द का अर्थ होता है 'आध्यात्मिक शक्ति' की पूर्णता यानी 'लाभ'.


चौघड़ियां
जब हम कोई चौघड़िया या मुहूर्त देखते हैं जो उसमें अमृत के अलावा लाभ और शुभ को ही महत्वपूर्ण माना जाता है. द्वार पर गणेशजी के पुत्रों के नाम 'स्वास्तिक' के दाएं-बाएं लिखा जाता है. घर के मुख्य दरवाजे पर 'स्वास्तिक' मुख्य द्वार के ऊपर मध्य में और शुभ और लाभ बाईं तरफ लिखते हैं. स्वास्तिक की दोनों अलग-अलग रेखाएं गणपति जी की पत्नी रिद्धि-सिद्धि को दर्शाती हैं. 

घर के बाहर शुभ-लाभ लिखने का मतलब यही है कि घर में सुख और समृद्धि सदैव बनी रहे. लाभ लिखने का भाव यह है कि भगवान से लोग प्रार्थना करते हैं कि उनके घर की आय और धन हमेशा बढ़ता रहे, लाभ होता रहे.

भक्ति

*~ आज का वैदिक पंचांग ~* 🌞

🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞  🌤️  *दिनांक - 25 मई 2023* 🌤️ *दिन - गुरूवार* 🌤️ *विक्रम संवत - 2080 (गुजरात - 2079)* 🌤️ *शक संवत -...