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कितनी विडंबना है कि कैंसर, एड्स, कुपोषण, शराब, तम्बाकू, गुटखा इत्यादि पर असंख्य विज्ञापन बने हैं इस देश में यहां तक कि लिंगभेद, रंगभेद पर कम ही सही मगर बात हुई ही है लेकिन जाति.....